अमोल कुमार
झारखंड के देवघर
इलाके में स्कूली पढाई के दौरान अमोल ने कोई बड़ा सपना नहीं देखा था,पर दसवी
परीक्षा में आए अच्छे अंक ने उनकी मानसिकता बदल दी |वह न सिर्फ आईआईटी के सपने देखने लगे,बल्कि उसी समय से इसके लिए
मेहनत भी शुरू कर दी |उनकी मेहनत रंग लाई और आईआईटी जेईई -2011 में उन्हें 41वीं
रैंक हासिल हुई |इस कामयाबी को कैसे प्राप्त किया अमोल कुमार ने|
· हमारे माता-पिता ---
पिता सुबोध कुमार
शिक्षा बिभाग में कर्मचारी है |माँ भी महिला आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर है |
दोनों ने
मंजिल पहुचाने के लिए सदा प्रेरितकिया |
· आरंभिक पढाई –लिखाई --
दसवी तक मेरी पढाई
झारखंड के देव घर जिले में स्थित रामकृष्ण विद्यापीठ से हुई |उसके बाद 12वी की
पढाई
मैंने बिहार के समस्तीपुर जिले के सेंट जोसेफपब्लिक स्कूल से किया|दसवीं की परीक्षा में जब मुझे 95% अंक हासिल हुए,उसके बाद इस तरह ही परीक्षाओ की तैयारी के लिए हौसला काफी बढ़ा |
मैंने बिहार के समस्तीपुर जिले के सेंट जोसेफपब्लिक स्कूल से किया|दसवीं की परीक्षा में जब मुझे 95% अंक हासिल हुए,उसके बाद इस तरह ही परीक्षाओ की तैयारी के लिए हौसला काफी बढ़ा |
· किस तरह के रास्ते से कामयाबी मिली
दसवी की पढाई पूरी
करने के बाद आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी में जुट गया था |
इसके लिए घर से कोसो
दूर जाकर बंसल इंस्टीट्यूट में कोचिंग किया |वहा परीक्षा की पैटर्न को समझा और
सफलता की लिए शिक्षको का मदद लिया |
·
सफलता
के लिए कोचिंग क्या जरुरत है
आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए दशवी और बारहवी के सिलेबस को
पढ़ना ही काफी नहीं है |उसे गहराई से समझना और प्रश्नों को अलग -2 रूपों को हल करना
भी बेहद जरुरी है |इसके लिए अपनी मेहनत के आलावा कोचिंग से भी काफी मदद मिल जाती
हैं |लेकिन कोचिंग संस्थान बेहत हो |
· इनका लक्ष्य है ---
फ़िलहाल तो आईआईटी
दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में अपनी पढाई पूरी करने के बाद आईटी क्षेत्र में ही काम
करूँगा या उच्च शिक्षा के लिया जाऊंगा |
· तैयारी कर रहे छात्र को इनका सन्देश ---
किसी भी प्रवेश परीक्षा या मंजिल को पाने के लिए मेहनत जरुरी हैं
|भाग्य इसके बाद आता है |भाग्य तभी साथ देता हैं,जब आप मेहनत करते है |
सभी टापिक्स पर
कमांड बनाये |जब बेहतर तैयारी का लक्ष्य बनायेंगे तो सफलता मिल जाती है |