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17 October 2015

हिंदी मीडियम से परीक्षा देकर मारी बाजी

hindi mediam se pariksha dekar maari baaji

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी 2010)में 36वीं रैंक हासिल करने वाले राहुल कुमार ने 10th की परीक्षा पास करने के बाद ही आईएएस बनने का लक्ष्य तय कर लिया था|इस मंजिल को पाने के लिए वह पिछले तीन साल से प्रयत्नशील थे |आख़िरकार तीसरी कोशिश में उन्होंने अपना मुकाम हासिल कर ही लिया | उनके अनुसार ---------
इस फिल्ड में आने की प्रेरणा मिली -----   प्रशासनिक सेवा में आने के लिए मेरे नानाजी कन्हैया प्रसाद ने मुझे प्रेरित किया|फ़िलहाल वह सेवानिवृत्त शिक्षक है |
परीक्षा की तैयारी की शुरुआत ----10thपरीक्षा पास करने के बाद इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया था|जहाँ तक पढ़ाई की बात हैं तो मेरी समझ से ज्यादा घंटो की उतनी अहमियत नहीं है,जितना महत्व कम समय में ही गुणवक्ता पूर्ण पढ़ाई की है |
तैयारी के दौरान अध्ययन सामग्री----सिविल सेवा के लिए मुख्य तौर पर इग्नू की सामग्री काफी काम आई | इसके पहले 2009 में कैग में असिस्टेंट औडिट आफिसर के रूप भी मेरा चयन हो चूका था ,लेकिन मैंने ज्वाइन नहीं किया | फिर 2009 में ही सिविल सर्विस परीक्षा में आईपीएस के रूप में चयन हुआ|और उसकी ट्रेनिंग हैदराबाद में चल रही थी |
वैकल्पिक बिषय थे -----  यूपीएससी में इतिहास और हिंदी साहित्य को मैंने वैकल्पिक विषय के रूप में रखा था| तीनो ही baar मैंने हिंदी माध्यम से ही परीक्षा दी |पढ़ाई भी मैंने हिंदी माध्यम से ही की हैं|
इन्टरब्यू की तैयारी -----आईपीएस की ट्रेनिंग में व्यस्त रहने की वजह से इस बार साक्षात्कार के लिए ज्यादा समय नहीं मिला |इंटरव्यू में मुझसे पुलिस की कार्यप्रणाली से सम्बंधित मुद्दों पर सवाल किये गए ,जैसे ,पुलिस की छवि ,मानवाधिकार ,पूछताछ के लिए थर्ड डिग्री का इस्तेमाल ,पूर्वोत्तर की समस्याए आदि |
कामयाबी का श्रेय --- लक्ष्य तक पहुचने के लिए समय –समय पर मेरे नानाजी से मार्गदर्शन मिलता रहा |इस दौरान मामाजी से स्नेह और सहयोग मिला | माता-पिता का आशीर्वाद और सबसे बढ़कर इश्वर की अनुकम्पा की वजह से इस प्रतिष्ठित सेवा के लिए मेरा चयन हो सका |
पारिवारिक पृष्ठभूमि ----मेरे पिता बिहार के एक गॉव में शिक्षक हैं और माताजी घर का कामकाज संभालती हैं एक छोटी बहन है जो पढ़ाई कर रही हैं|
यूपीएससी या स्टेट पीएससी की तैयारी कर रहे छात्रो को टिप्स ----ऐसे छात्र तैयारी की अवधि में अपने लक्ष्य  के प्रति जोश और जूनून बरक़रार रखें|


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शॉर्टकट के चक्कर में न पड़े छात्र

शॉर्टकट के चक्कर में न पड़े छात्र ----
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश )स्थित बांसगावकी रहने वाली प्रीति सिंह का चयन यूपी पीसीएस-2008 में नायब तहसीलदार के पद पर हुआ है|निम्न –मध्यमवर्गी परिवार में जन्मी प्रीति पांच बहनों में सबसे बड़ी है|यूजीसी नेट क्वालीफाइडऔर अपने पुरे एकेडमिक कैरियर में फर्स्ट डिविजन हासिल करने वाली प्रीति आगे और बड़ा मुकाम हासिल करने का इरादा रखती हैं| उनके अनुसार ---
  अपनी सफलता का श्रेय देना चाहूंगी ---निश्चित तौर पर मेरी इस सफलता के पीछे मेरे परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है |जिस माँ –बाप की पांच –पांच लड़किया हो ,उन्होंने कितनी दिक्कतों के साथ उनकी शिक्षा-दीक्षा का बोझ उठाया होगा और आभाव में होने के बावजूद मुझे दिल्ली और फिर इलाहाबाद तैयारी के लिए भेजा होगा,यह मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है|
सफलता को लेकर कितनी आश्वस्त थी ---पिछले दो इंटरब्यू में हालांकि मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी,लेकिन इस baar मुझे यह यकीं था की मेरा चयन हो जायेगा|
लगातार अध्ययन के चलते राजनीती शास्त्र एवं हिंदी,इन  दोनों ही विषयों पर मेरी पकड़ हो गयी हो गयी थी और इसका मुझे भरपूर फायदा मिला|
परीक्षा की तैयारी ---- शुरू में मैंने एक साल दिली में रहकर कोचिंग ली थी|फिर इलाहबाद आकर खुद से अध्ययन करने का फैसला किया|कोचिंग के दौरान मुझे कई तरह की आधारभूत एवं आवश्यक बिन्दुओ की जानकारी हुई,जिसका फायदा मुझे परीक्षा के दौरान मिला |राजनीति शास्त्र के लिए जहाँ डीडी बसु व् सईद की पुस्तको का सहारा लिया,वहीँ हिंदी के लिए डॉ.राम स्वरूप चतुर्वेदी की किताबो ली|इग्नू के नोट्स भी कारगर हुए |अंतिम दिनों में मेरा पूरा ध्यान रिवीजन पर था |
साक्षात्कार में पूछे गये सवाल ---- साक्षात्कार के दौरान बोर्ड के सदस्यो का व्यवहार काफी सकारात्मक था|
उन्होंने मुझसे आतंकवाद ,नक्सलवाद ,महिला आरक्षण ,माओवाद आदि पर सवाल पूछे गये |कुछ सवाल हिंदी एवं अफेयर्स से भी पूछे गए |
आगे का इरादा है ----मुझे आगे चलकर आईएएस तक का सफ़र तय करना है |अभी मै आगामी सिविल सेवा प्री एग्जाम की तैयारी कर रही हूँ |

पीसीएस की तैयारी कर रहे छात्र को टिप्स --- पीसीएस परीक्षा में सफलता के लिए नियमित अध्ययन और रणनीति बेहद जरुरी है |इसका कोई शार्टकट नहीं होता है |नियमित रूप से 8 – 9 घंटे की पढ़ाई पर्याप्त होती है ,लेकिन अंतिम एक महीने में रिविजन के लिए भी खुद को तैयार रखें| 
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भाग्य तभी साथ देता है जब आप मेहनत करते हैं ------


अमोल कुमार
झारखंड के देवघर इलाके में स्कूली पढाई के दौरान अमोल ने कोई बड़ा सपना नहीं देखा था,पर दसवी परीक्षा में आए अच्छे अंक ने उनकी मानसिकता बदल दी |वह न सिर्फ आईआईटी  के सपने देखने लगे,बल्कि उसी समय से इसके लिए मेहनत भी शुरू कर दी |उनकी मेहनत रंग लाई और आईआईटी जेईई -2011 में उन्हें 41वीं रैंक हासिल हुई |इस कामयाबी को कैसे प्राप्त किया अमोल कुमार ने|
·       हमारे माता-पिता ---
पिता सुबोध कुमार शिक्षा बिभाग में कर्मचारी है |माँ भी महिला आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर है | दोनों ने मंजिल पहुचाने के लिए सदा प्रेरितकिया |
·       आरंभिक पढाई –लिखाई --
दसवी तक मेरी पढाई झारखंड के देव घर जिले में स्थित रामकृष्ण विद्यापीठ से हुई |उसके बाद 12वी की पढाई

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16 October 2015

सिर्फ रटने से बात नहीं बनती ,समझना बहुत जरुरी हैं --

सिर्फ रटने से बात नहीं बनती-
·        दिल्ल्ली खेडाकला गॉव में रहने वाली देवाषी पालीवाल इस मामले में मिसाल पेश करती है |साइंस स्ट्रीम में उन्होंने 96%अंक हासिल कर अपने स्कूल में मेडिकल स्ट्रीम में टॉप किया हैं|रोहिणी के प्रशांत विहार स्थित लेंसर्स कान्वेंट स्कूल में पढने वाली देवाषी न्यूरोसैकोलाजिस्ट बनना चाहती हैं| अपनी सफलता के सफ़र से जुडी कुछ खास बातें,देवाषी ने साझा की जो आपके भी काम आ सकती है ----
Topper ke tips
·        ग्रामीण क्षेत्र में रहने के कारण आसपास कोचिंग मिलने में काफी दिक्कत हुई ,इसलिए सेल्फ स्टडी को ही अपनी ताकत बनाया |
·        स्कूल के बाद हर रोज पांच-छह घंटे पढ़ाई और छुट्टी के दिनों में 8-10 घंटे |
·        किसी दुसरे की नोट्स पर निर्भर रहने के बजाय NCERT की किताबो से अपने खुद के नोट्स बनाना |
·        नोट्स में हाईलाईटर्स और कलर्ड प्वाइंटर्स का इस्तेमाल करने से,बाद में याद रखने में आसानी होती है|
·        किसी भी विषय के कॉन्सेप्ट और बेसिक्स को अच्छी तरह समझना जरुरी है , सिर्फ याद रखने या रटने से बात नहीं बनती |
·        हर रोज एक टू  डू लिस्ट बनाना जरुरी है|टाइम मैनेजमेंट के बिना किसी भी लक्ष्य को पाना बहुत मुश्किल है|
·        पढ़ाई के बीच में छोटे-छोटे ब्रेक |पार्क में सैर करना या फिर संगीत सुनना ,इससे दिमाग को आराम मिलता है |
·        फेसबुक,व्हाट्सएप और टीवी जैसी चीजो से दुरी |
·        घंटो पढ़ाई करने के बीच में अगर थोड़ी-थोड़ी देर मेडिटेशन ब्रेक लिए जाये ,तो भिकाफी मदद मिलती है |
·        अच्छी डाईट लेना बहुत जरुरी है |
·        नवम्बर तक सिलेबस ख़त्म करके फिर रिविजन शुरू कर दें|   


दोस्तों आप भी इन टिप्स को अपनी लाइफ में उतार कर ओ मुकाम हाशिल कर सकते है|अर्थात आप सफल हो सकते हैं| देवाषी पालीवाल जी के द्वारा बताया गया सभी पहलु पर गौर करे और अपने कार्य शैली या कार्य पहलु को देखकर तुलना करके देखिये | अपनी सिस्टम को देखिये और उसको सुधार करिए|
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15 October 2015

बेहतर प्रेजेंटेशन से मिलती हैं सफलता

बेहतर प्रेजेंटेशन से मिलती हैं सफलता—
   अमित कुमार
यूपी पीसीएस के अपने चौथे प्रयास में डिप्टी कलक्टर पद के लिए चयनित अमित कुमार ने इतिहास और हिंदी साहित्य विषयों से यह मुकाम हासिल किया|
उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा -2008 में पांचवी रैंक हासिल करने वाले अमित कुमार जौनपुर जिले की मणियाहूँ तहसील के बबुरी गॉव से तलूक रखते है| किसान कड़ेदिन सिंह के बेटे अमित फ़िलहाल इलाहबाद में जिला कोषाधिकारी हैं |इलाहाबाद विश्वविध्यालय से वर्ष -2003 में प्राचीन इतिहास और हिंदी साहित्य से स्नातक करने के बाद अमित ने पीसीएस परीक्षा के लिए भी यही दोनों विषय चुने |उनके अनुसार ----
 पीसीएस परीक्षा की तैयारी के लिए इतिहास और हिंदी लिया था—बचपन से ही मुझे इतिहास ,सभ्यता और संस्कृत को जानने की ललक रही है |प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन वाले ज्यादा प्रश्न-पत्र में इतिहास से ज्यादा सवाल पूछे जाते है |साथ ही ,इस विषय से सम्बंधित पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध हो जाती है |रही बात हिंदी की ,तो मैंने हिंदी साहित्य से एमए किया हैं|विषय में पकड़ भी अच्छी थी |
बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय से जेआरएफ और पीएचडी करने के बाद मैंने केन्द्रीय विद्यालय,डिब्रूगढ (असम)में बतौर प्रवक्ता नौकरी की |फ़िलहाल मै जिला कोषाधिकारी के पद पर कार्यरत हूँ और मैंने सिविल सर्विस (यूपीएससी)-2010 की मुख्य परीक्षा भी दी हैं |
अपनी तैयारी -----मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए मैंने थोड़ा हटकर तैयारी की|तैयारी तो सभी प्रतियोगी करते है ,किताबे भी खूब पढ़ी जाती है,लेकिन मायने यह रखता है की प्रश्न-पत्र के लिए तय  समय में किसी सवाल का जबाब कैसा दिया कैसा दिया गया हैं|आपकी लेखन शैली कैसी है और   कम शब्दों में आप कितना बढ़िया उत्तर लिख पाते है,इन  बातो पर आपकी सफलता निर्भर करती है|
पीसीएस मुख्य परीक्षा के पैटर्न -----मुख्य परीक्षा में दो वैकल्पिक विषयों और सामान्य अध्ययन के दो –दो प्रश्न-पत्र होते हैं |साथ ही भाषा के भी दो प्रश्न-पत्र हल करने पड़ते हैं,यानि मुख्य परीक्षा में कुल मिलाकर आठ प्रश्न-पूछे जाते है |वैकल्पिक विषयो के प्रत्येक प्रश्न-पत्र में आठ प्रश्न पूछे जाते है|जिनमे से पांच प्रश्न का उत्तर लिखना होता है|विशेष बात यह है की अधिकांश प्रश्न समसामयिक घटनाओ से जोड़कर पूछे जाते है | वहीँ,सामान्य अध्ययन के दोनों प्रश्न-पत्र में (प्रत्येक प्रश्न-पत्र में 150 सवाल )बहुबिकल्पीय प्रश्नपूछे जाते है|
इंटरव्यू में पूछे गए सवाल ---  इंटरव्यू में अभ्यर्थी की पृष्ठभूमि ,एकेड्मिक और अभिरुचि के साथ-साथ राष्ट्रिय ,अन्तर्राष्ट्रीय और समसामयिक मुद्दों पर सवाल पूछे गए |एक रोचक सवाल यह किया गया की आप राज्य के किसी विशेष अतिथि के आगमन पर प्रोटोकॉल मेंटेन करने जा रहे हैं |इसी दौरान आपको पता चलता है |की शहर में कहीं पर बम ब्लास्ट हो गया है |ऐसी स्थित में आप क्या करेंगे ?

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र को टिप्स----यदि प्रेजेंटेशन बेहतर हैं|तो अंक भी मनमाफिक ही मिलेंगे|इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ बेहतर प्रस्तुति पर भी ध्यान दें |
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हौसला बुलंद हो और दिल लगाकर पढ़ाई की जाए,तो विकलांगता या अन्य विपरीत परिस्थितिया भी राह में बाधक नहीं बन सकती

हौसला बुलंद हो और दिल लगाकर पढ़ाई की जाए,तो विकलांगता या अन्य विपरीत परिस्थितिया भी राह में बाधक नहीं बन सकती|
कुछ कर दिखने का जज्बा हो,तो मुस्किल परिस्थितिया भी मंजिल तक पहुचने से नहीं रोक सकती है|गाजियाबाद निवासी 17वर्षीय तनुज ने शारीरिक अक्षमता के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये |कॉमन प्रोफ़िशिएन्सी टेस्ट -2011 (सीपीटी)पहली baar में ही क्लीयर कर लेने वाला यह होनहार फिलहाल बीकॉम ऑनर्स कर रहा है |तनुज ने 12वीकी सीबीएसई की परीक्षा में 92.6% नम्बरों के साथ टॉप किया |

परीक्षाओ की तैयारी के लिए घंटो पढ़ाई करते थे---
नियमित तौर से पढ़ाई करता था | किताबो से मै खुद ही नोट्स बनता था और रटने की जगह चैप्टर को समझ कर पढ़ता था|समय की बात किया जाय तो रोजाना करीब 6 घंटे पढ़ता था |पढ़ाई के बीच 20 से 50 मिनट का विराम जरुर लेता था |

परीक्षाओ की तैयारी के लिए अध्ययन सामग्री -----
सीबीएसई की परीक्षाओ की तैयारी मैंने NCERT की किताबो से की थी|इसके आलावा स्कूल से दिए जाने वाले नोट्स को अच्छी तरह से पढ़ता था|न्यूमेरिकल की प्रेक्टिकस पर पूरा ध्यान दिया था |
CA के लिए कोचिंग की थी और आईसीएआई की किताबो से तैयारी की थी| यह किताबे CA(सीए)इंस्टीट्यूट से ही मिलती है|
सीपीटी की परीक्षा की माध्यम ---  यह परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यम में होती है|इसमें एकाउंट्स क्वान्टईटेटिव एप्टिटयूट (मैथ )इकोनोनौमिक्स और लॉ के पेपर होते है|सभी पेपर मै अंग्रेजी मध्यमं में दिये थे|
बीकॉम ऑनर्स और सीए की पढ़ाई को मैनेज करना ---   वाकई यह चुनाव कठिन है|सीए की पढ़ाई में मई,2012 में इन्टीग्रेट प्रोफेसनल कॉम्पीटेन्स कोर्स (IPCC)का लेवल होगा,जिसे पूरा करने के बाद तीन साल की आर्टिकलशिप करनी होती है|इस दौरान बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई बाधित होगी |ऐसे में संभव है की मै बीकॉम ऑनर्स पूरा करने के बाद आर्टिकलशिप करूं, क्योकि आर्टिकलशिप के लिए समय की कोई बाध्यता नहीं है|
आगे का लक्ष्य है---एक अच्छा चार्टेड एकाउंटेंट बनना |

छात्रो को परीक्षाओ की तैयारी के लिए टिप्स –पढ़ाई को बोझ न समझे,बल्कि एन्जॉय करें |हर बिषय को तवज्जो दें और जो विषय कठिन लगता है, उस पर ज्यादा फोकस करें|घंटो पढ़ने के बजाय कुछ देर ही मन लगाकर पढ़े| अच्छे परिणाम आयेंगे | 
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शार्ट टर्म प्लानिंग से मिली आईआईटी में सफलता

 



शार्ट टर्म प्लानिंग से मिली आईआईटी में सफलता –

सम्पूर्ण तैयारी को लेकर निशीथ कभी चिंतित नहीं रहे ,बल्कि थोड़ा –थोड़ा करके उन्होंने आईआईटी से सम्बंधित अपनी तैयारी पूरी की और सफलता के शिखर पर पहुचे ....शार्ट टर्म प्लानिंग भी सफलता की राह दिखाती है|निशीर भंडारी ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में कुछ इसी तरह की रणनीति बनाई और आल इंडिया स्तर पर 40वीं रैंक हासिल की |


आईआईटी में जाने का इरादा कब और कैसे बना --- 
आठवी कक्षा में आते –आते जिन दो विषयों में मुझे अधिक रूचि पैदा हुई ,वह है साइंस और गणित |दशवी परीक्षा पास करने के बाद क्वालिटी वाले संस्थान में जाने का इरादा बनाया |
मेरी दशवी की पढ़ाई –लिखाई बीपीएस,जोधपुर से हुई है |इस कक्षा में मुझे 95.6% अंक हासिल हुए | इसके बाद 12वी की पढ़ाई जोधपुर के ही जागिंड मेमोरियल स्कूल से हुई |

आईआईटी की तैयारी के लिए किस तरह की रणनीति बनाई – मै लांग टर्म प्लानिंग में विश्वास नहीं करता |इसलिए दसवी के बाद इस परीक्षा के लिए मैंने शार्ट टर्म प्लानिंग की|रात को सोने से पहले ही मै तय कर लेता था की  कल मुझे क्या पढ़ना है| इस तरह शार्ट टर्म प्लानिंग के माध्यम से तैयारी करते हुए मै धीरे –धीरे आगे बढ़ता रहा |
·      कोचिंग संस्थान की मदद ली ---- कोटा जाकर बंसल क्लासेज में मैंने मार्गदर्शन लिया | वहा पुरे पाठ्यक्रम को समझा |साथ ही ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को हल करने का अभ्यास किया | प्रैक्टिस से परीक्षा में सफलता पाने का आत्मविश्वास भी पैदा हुआ |
·      पारिवारिक माहौल इस सफलता में मददगार रहा ---- पिता डॉ.अनिल भंडारी जोधपुर विश्वविद्यालय में फार्मेसी के प्रोफसर है |उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी|
·      मेरा लक्ष्य है—फ़िलहाल कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर रहा हु|बाद में बेहतर समाज के लिए सिविल सर्विस के क्षेत्र में जाना मेरी प्राथमिकता होगी |



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टॉपर के इंटरब्यू से सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिली





टॉपर के इंटरब्यू से सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिली –
                   शुचिता किशोर
पहली बार में प्राम्भिक परीक्षा में भी असफल रहने वाली शुचिता किशोर अपने जुझारू तेवर के कारण आख़िरकार सिविल सेवा में 39th रैंक हाशिल करने में सफल रही |
 सिविल सेवा में जाने की मिली प्रेरणा ----सिविल सेवा के टॉपर्स के इंटरब्यू पढने से मुझे इस दिशा में कदम बढ़ाने की प्रेरणा मिली |तीन टॉपर ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया |ये हैं -1996 के इकबाल सिंह धालीवाल ,2005 की मोना पृथी और 2009 शाह फैजल|

हमारी शिक्षा -----मेरी शुरूआती पढ़ाई लखनऊ में ही हुई |आईसीएसई बोर्ड ने मैंने10th की  89%अंको के साथ और 12th की 86%की अंको के साथ  पास की थी |इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय और जेएनयू में मैंने पढाई की|


सिविल सेवा का सफर -----
अंग्रेजी साहित्य और राजनीति विज्ञानं व अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध मेरे वैकल्पिक विषय थे|पहले प्रयास में मै प्रारम्भिक परीक्षा भी उत्रीर्ण नहीं कर पाई थी,लेकिन दुसरे प्रयास में साक्षात्कार तक पहुची थी|तीसरे प्रयास में मेरा चयन हुआ|मेरी प्रथिमकता भारतीय विदेश सेवा थी ,जो मिल गयी |
सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिहाज से अखबार पढ़ना चाहिए---
अखबार पढ़ते समय खबर के विभिन्न पहलुओं पर गौर करना चाहिए|जैसे बीपी आयल लीक की खबर पढ़ रहे हो तो यह जरुर खोजे की यह घटना कैसे हुई ,इसके क्या खतरे है,लीक रोकने के लिए चलाये गए अभियान का नाम क्या था आदि |संपादकीय जरुर पढ़े |
उत्तर लिखते समय निम्न बातो का ध्यान रखना चाहिए-----
सबसे पहले उन सवालों को करे जो बहुत अच्छे से आते है|इसके बाद उन सवालों को करे जो कुछ-कुछ आते हैं|जो बिलकुल नहीं आते है ,उन्हें छोड़ ही दें |भाषा बिलकुल सरल होनी चाहिए |जो पूछा जा रहा है,वाही लिखे |मसलन ,अगर सवाल आता है की एचआईवी क्या हैं?इससे निपटने के लिए भारत सर्कार कौन-कौन से कदम उठा रही है?तो इसका क्रम इस तरह रख सकते हैं- 1. यह एक विषाणु हैं,  2. इसका फुल फार्म , 3. इससे एड्स नामक बीमारी फैलती है, 4. एड्स को लेकर सामजिक स्तर पर मौजूद समस्या, 5. भारत सरकार द्वारा एड्स की रोकथाम की दिशा कौन-कौन से कदम उठाये जा रहे है.........|
साक्षात्कार में पूछे गए सवाल-------
सिविल सेवा में आने के बारे में कब सोचा?आप जेएनयू के बबरे में कब सोचा ?आप जेएनयू में पढ़ाती है बताइए क्या पढ़ाती है ? मध्य-पूर्व में हुई क्रांति से हमें क्या सिख मिलती है?कुछ ऐसे देशो के नाम बताइए जहाँ ये क्रांतिया हुई है? लखनऊ किस कारण से मसहुर है? ग्रामीण इलाको में रोजगारपरक पाठ्यक्रमो में कंप्यूटर का इस्तेमाल किस तरह से करेगी?क्या हमारी विदेश नीति में कोई गलती हो रही है?इसके आलावा भी कई सवाल पूछे गए|  


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14 October 2015

जी –जान से की पढ़ाई,मेहनत रंग लायी,जानिये एक आईआईटी टॉपर छात्र द्वारा टिप्स



जी –जान से की पढ़ाई,मेहनत रंग लायी सतीश कुमार का 

ईमानदारी पूर्वक पढ़ाई और निरंतर एक सही दिशा में की गयी कोशिश ही सतीश कुमार को आईआईटी दिल्ली के प्रवेश दिलाई | सफलता के लिए किये गए संघर्ष और तैयारी की रणनीति के बारे जानते है |
दशवी बोर्ड की परीक्षा दने के बाद तक मैंने आईआईटी में जाने और तैयारी करने जैसी बात नहीं सोची थी |बस अपने हिसाब से पढ़ाई कर रहा था |11 वी की परीक्षा पास करने के बाद इस दिशा में तैयारी शुरू किया |12वीं की परीक्षा देने के बाद एक साल और तैयारी के लिए समय लिया |और फिर इसमें सफल हुआ |
हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में नारनौल तहसील स्थित सरस्वती सीनियर सेंकंडरी  स्कूल से पढ़ाई की| तैयारी के दौरान पीछे मुड़कर यह नहीं देखा की मेरे पिछले अंक क्या है|सीबीएसई के पैटर्न पर अपना ध्यान रखा |
मेरे पिता जी सेना में है और माँ गृहणी |दोनों ही मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे है |

सफलता पाने के लिए संघर्ष करना
प्रवेश परीक्षा की तैयारी में एक baar जुट गया,तो दिन रात इस ख्याल में डूबा रहा |तमाम चिन्ताओ को पीछे छोड़ पढ़ाई में ही मन लगाया | इस परीक्षा को लेकर एक लगाव पैदा हो गया था मुझे |इस रूचि ने तैयारी में काफी मदद की |
कोचिंग की मदद --
कोटा में जाकर कोचिंग की थी | आईआईटी की तैयारी के लिए उपयुक्त माहौल दिलाने में कोचिंग खासा मददगार रहा|आप दृढ़ संकल्प से लैस है और मेहनत करने का मद्दा रखते है,लेकिन इन सबको अगर सही दिशा न मिले तो मेहनत बेकार जाती है |कोचिंग और वहा मिले नोट्स ने आईआईटी में सही दिशा दी |
सफल होने के लिए राणनिति –
कितने घंटे पढ़ाई की ,इसे देखने के बजाय ईमानदारीपूर्वक प्रयास जारी रखा |मेरा पूरा जोर विषय वस्तु को एकाग्र होकर पढ़नें में रहा | पूरे सिलेबस को अच्छी तरह से समझना और उसे हल करना,यह रणनीति विशेष रूप से अपनाई |
आगे का सपना
अभी तो केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर रहा हु |आगे एमटेक करने का इरादा है|
आईआईटी के द्वारा युवाओ को प्राप्त प्लेटफोर्म--
देश में यह एसा संस्थान है, जहां अभी निम्न –मध्यवर्ग या मध्यमवर्ग के छात्र भी अपनी प्रतिभा के बलबूते प्रवेश पा जाते है | प्रवेश के लिए  पैसे की भूमिका यहाँ कई अन्य संस्थानों के मुकाबले कम है |आईआईटी अपने यहाँ तकनिकी हुनर के अलावा छात्रो को खेल कूद और अन्य गतिविधियो को भी सामने लाने का मौका देती है |





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